Jai Hind

देता रहा उजाला रात भर वह दीपक…! राहगीर मगर एक अकेला छूट गया। कह दो तुफां से अभी पीछा ना करें ..! जाना है इसे दूर बहुत मंजिल के पार। www.khulibharti.com khulibharti.com@gmail.com

मूँ

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